Saturday, May 11, 2019

#Nuclear_Power_India ---- Pokhran

=>"1998 का वह परीक्षण जिसने दुनिया में भारत को बनाया परमाणु शक्ति संपन्न "
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★ 11 मई को देश टेक्नोलॉजी डे के तौर पर मनाता है। इस दिन का भारतीय इतिहास में बहुत ख़ास महत्व है।
★ भारतीय परमाणु वैज्ञानिकों की सफलता के दूसरे अध्याय को याद करने का है। यही वह दिन है जब भारत ने दुनिया के सामने परमाणु विस्फोट कर यह साबित कर दिया था कि वह अब परमाणु शक्ति संपन्न देशों की कतार में खड़ा है। जिसके बाद भारत के ऊपर दुनियाभर के देशों ने आर्थिक समेत कई तरह के प्रतिबंध लगाए थे। 
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=>छोटे पोखरण का बड़ा इतिहास
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★11 मई, 1998 को जब राजस्थान के जोधपुर-जैसलमेर मार्ग पर बसे छोटे से कस्बे पोखरण के आसपास के तपते मरुस्थल में सूरज अपनी पूरी तपिश बिखेर रहा था। तब भारतीय परमाणु वैज्ञानिकों ने 24 साल के अंतराल के बाद एक बार फिर पोखरण की रेतीली भूमि पर परमाणु विस्फोट कर दुनिया की महाशक्तियों को यह अहसास करवा दिया कि वे अपनी परमाणु संपन्नता पर इतरा कर दुनिया को अपनी धौंसपंट्टी में लेने की कोशिश न करें, क्योंकि यह कूवत हम भी रखते हैं।
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★ भारत की परमाणु शक्ति का यह प्रदर्शन तब दुनिया को चौंकाने के लिए काफी था और दुनिया के तमाम मुल्कों में इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई। 
★ जवाब में पाकिस्तान ने भी कुछ ही दिनों के अंतराल में परमाणु विस्फोट किया। दक्षिण पूर्व एशिया के दो परस्पर प्रतिद्वंद्वी देशों में परमाणु शक्ति की होड़ को देख संयुक्त राष्ट्र तक को हस्तक्षेप करना पड़ा और सुरक्षा परिषद में इसके खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया गया। 
★ हालांकि भारत ने स्पष्ट कहा कि उसका उद्देश्य परमाणु परीक्षण शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है और वह इसके जरिए नाभिकीय हथियार बनाने का इरादा नहीं रखता है।
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=>परमाणु परीक्षण का है लंबा सफर 
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★ भारत के परमाणु शक्ति संपन्न होने की दिशा में काम तो वर्ष 1945 में ही शुरू हो गया था, जब होमी जहांगीर भाभा ने इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च की नींव रखी।
★ लेकिन सही मायनों में इस दिशा में भारत की सक्रियता 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद बढ़ी। इस युद्ध में भारत को शर्मनाक तरीके से अपने कई इलाके चीन के हाथों गंवाने पड़े थे। इसके बाद 1964 में चीन ने परमाणु परीक्षण कर महाद्वीप में अपनी धौंसपंट्टी और तेज कर दी। दुश्मन पड़ोसी की ये हरकतें भारत को चिंतित और विचलित कर देने वाली थीं। 
★ लिहाजा सरकार के निर्देश पर भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र ने प्लूटोनियम व अन्य बम उपकरण विकसित करने की दिशा में सोचना शुरू किया। इसी बीच दक्षिण एशियाई की भू-राजनीति में दो बड़ी घटनाएं और हो गई।
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★ 1965 में भारत व पाकिस्तान के बीच भीषण युद्ध हुआ और इसी दौरान चीन ने थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस विकसित कर परमाणु शक्ति संपन्न होने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ा लिया था। इन वर्षो में भारत में राजनीतिक नेतृत्व में भी परिवर्तन आ चुका था और प्रधानमंत्री के पद पर श्रीमती इंदिरा गांधी आसीन हो चुकी थीं। 
★ परमाणु कार्यक्रम भी होमी भाभा से चलकर विक्रम साराभाई से होता हुआ प्रसिद्ध वैज्ञानिक राजा रमन्ना के हाथों में आ चुका था।
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=>इंदिरा ने पहले परमाणु परीक्षण को दी हरी झंडी
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★ इन्हीं भू राजनीतिक परिस्थितियों के बीच भारत ने अपने परमाणु कार्यक्रम को तेज किया और 1972 में इसमें दक्षता प्राप्त कर ली। 1974 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारत के पहले परमाणु परीक्षण के लिए हरी झंडी दे दी। 
★ इसके लिए स्थान चुना गया राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित छोटे से शहर पोखरण के निकट का रेगिस्तान और इस अभियान का नाम दिया गया मुस्कुराते बुद्ध। इस नाम को चुने जाने के पीछे यह स्पष्ट दृष्टि थी कि यह कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्य के लिए है।
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★ 18 मई 1974 को यह परीक्षण हुआ। परीक्षण से पूरी दुनिया चौंक उठी, क्योंकि सुरक्षा परिषद में बैठी दुनिया की पांच महाशक्तियों से इतर भारत परमाणु शक्ति बनने वाला पहला देश बन चुका था। इस परीक्षण में राजा रमन्ना के नेतृत्व में भारत के मेधावी परमाणु वैज्ञानिकों पीके आयंगर, राजगोपाल चिदंबरम, नागपत्तानम सांबशिवा वेंकटेशन, वामन दत्तात्रेय पंट्टवर्धन, होमी एन. सेठना आदि की टीम ने अपनी पूरी मेधा झोंक दी।
★ इस टीम के राजगोपाल चिदंबरम बाद में एपीजे अब्दुल कलाम के साथ पोखरण-2 के सूत्रधारों में थे। भारत के परमाणु परीक्षण की पूरी दुनिया में प्रतिक्रिया हुई। पाकिस्तान ने इसे धमकी भरी कार्रवाई करार दिया तो कुछ अन्य देशों ने परमाणु होड़ बढ़ाने वाला बताया, जबकि कुछ अन्य चुप्पी साध गए।
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★ परमाणु परीक्षण पर अटल सरकार का बड़ा फैसला 
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- पहले परमाणु परीक्षण के बाद 24 साल बाद अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने। वाजपेयी ने अपने चुनाव अभियान में भारत को बड़ी परमाणु शक्ति बनाने का नारा दिया था। सत्ता में आने के दो महीने के अंदर ही उन्होंने अपने इस वादे को मूर्त रूप देने के लिए परमाणु वैज्ञानिकों को यथाशीघ्र दूसरे परमाणु परीक्षण की तैयारी के निर्देश दिए।
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★ चूंकि इससे पूर्व 1995 में भारत की परमाणु तैयारियों की भनक अमेरिका को लग चुकी थी। इसलिए इस बार अभियान की तैयारियों को पूरी तरह गोपनीय रखा गया। यहां तक की केंद्रीय मंत्रिमंडल के कई सदस्यों तक को इसके बारे में पता नहीं था। पूरे अभियान की रणनीति में कुछ वरिष्ठ वैज्ञानिक, सैन्य अधिकारी व राजनेता ही शामिल थे।
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★ एपीजे अब्दुल कलाम [बाद में भारत के राष्ट्रपति] तथा राजगोपाल चिदंबरम अभियान के समन्वयक बनाए गए। उनके साथ डॉ. अनिल काकोदकर समेत आठ वैज्ञानिकों की टीम सहयोग कर रही थी। अभियान की जमीनी तैयारियों में 58 इंजीनियर्स रेजीमेंट ने सहयोग किया।
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★ चूंकि अब भारत की परमाणु दक्षता उच्च स्तरीय हो चुकी थी और दुनिया को यह दिखाने का समय आ चुका था कि वह भारत की ताकत को कमतर करके न आंके, इसलिए इस अभियान का नाम शक्ति रखा गया। 
★ अंतत: 11 मई व इसके बाद भारत ने पोखरण में दूसरे परमाणु परीक्षण किए। कुल पांच डिवाइस का परीक्षण किया गया।

#National_Technology_Day

#National_Technology_Day 
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•Every year, `National Technology Day’ is observed across India on May 11.
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•This day glorifies the importance of science in day-to-day life and motivates students to adopt science as a career option.
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•National Technology Day is being commemorated to celebrate the anniversary of first of the five tests of Operation Shakti (Pokhran-II) nuclear test which was held on 11 May 1998 in Pokhran, Rajasthan.
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•Apart from Pokhran nuclear test, on this day first indigenous aircraft Hansa-3 was test flown at Bangalore and India also conducted successful test firing of the Trishul missile on the same day.
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•Considering all these achievements 11 May was chosen to be commemorated as National Technology Day.
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•To commemorate this day, Technology Development Board (TDB) has instituted a National Award. 
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•This award is conferred on to various individuals and industries for their successful achievement in commercialization of Indigenous Technology.

•In 1998 , Operation Shakti (Pokhran-II) : India conducts underground atomic tests in Pokhran to include a thermonuclear device.
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#Operation_Shakti (Pokhran-II) 
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•Pokhran-II was the series of five nuclear bomb test explosions conducted by India at the Indian Army 's Pokhran Test Range in May 1998. 
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•It was the second Indian nuclear test; the first test, code-named Smiling Buddha, was conducted in May 1974. 
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•Pokhran-II consisted of five detonations, of which the first was a fusion bomb and the remaining four were fission bombs . 
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•These nuclear tests resulted in a variety of sanctions against India by a number of major states, including Japan and the United States. 
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•On 11 May 1998, Operation Shakti (Pokhran-II) was initiated with the detonation of one fusion and two fission bombs; the word " Shakti " means "power" in Sanskrit.
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•On 13 May 1998, two additional fission devices were detonated, and the Indian government led by Prime Minister Atal Bihari Vajpayee shortly convened a press conference to declare India a full-fledged nuclear state. 
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•Many names are attributed to these tests; originally they were called Operation Shakti–98 ( Power–98 ), and the five nuclear bombs were designated Shakti-I through Shakti-V . 
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•More recently, the operation as a whole has come to be known as Pokhran II, and the 1974 explosion as Pokhran-I .•In 1987 – In Baltimore, the first heart–lung transplant takes place. The surgery is performed by Dr. Bruce Reitz of the Stanford University School of Medicine.
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•A heart–lung transplant is a procedure carried out to replace both heart and lungs in a single operation. 
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•Due to a shortage of suitable donors, it is a rare procedure; only about a hundred such transplants are performed each year in the USA.
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•Dr. Norman Shumway laid the groundwork for heart lung transplantation with his experiments into heart transplantation at Stanford in the mid 1960s. 
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•Shumway conducted the first adult heart transplant in the US in 1968.
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•Building on his research at Stanford, Dr. Bruce Reitz performed the first successful heart–lung transplant on Mary Gohlke in 1981 at Stanford Hospital. 
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•The transplant team at Stanford is the longest continuously active team performing these transplants.

સોમનાથ મહાદેવ મંદિરનો આજે 67મો પ્રાણપ્રતિષ્ઠા દિન ---- Somnath Mahadev

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સોમનાથ મહાદેવ મંદિરનો આજે 67મો પ્રાણપ્રતિષ્ઠા દિન

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🚩ભારતના બાર જ્યોતિર્લિંગમાં1⃣ પ્રથમ જ્યોતિર્લિગ એવા સોમનાથ મંદિરનો આજે 11 મેના રોજ 67મો સ્થાપના દિવસ છે. 
🚹11 મે, 2017 એટલે કે આજે ગુરુવારે સોમનાથ મંદિરના 67માં પ્રાણ પ્રતિષ્ઠા દિનની હર્ષોલ્લાસથી ઉજવણી કરવાનું આયોજન સોમનાથ ટ્રસ્ટ દ્વારા કરવામાં આવ્યું છે. સરદારના સંકલ્પની ઝાંખી અને 66 વર્ષ પૂર્વે રચાયેલા દ્રશ્યની અવિસ્મરણીય ઝાંખી સાંજે 7 વાગ્યે થતી મહાઆરતી સમયે દ્રશ્યમાન કરાશે.
🕉 મંદિરને સુંદર પુષ્પોની સ્થાપના દિવસની યાદ તાજી થાય તે રીતે શણગારવામાં આવશે.

મૃણાલિની સારાભાઈ ---- Mrinalini Sarabhai

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પદ્મભૂષણ અને શાસ્ત્રીય નૃત્યાંગના મૃણાલિની સારાભાઈ
‘અમ્મા’
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🎉💌તેમનો જન્મ ૧૧મે ૧૯૧૮ના રોજ કેરળમાં થયો હતો અને તેમની માતા અમ્મુ સ્વામિનાથન પ્રખર સામાજિક કાર્યકર અને માજી સંસદ સદસ્ય હતાં. તેમણે પોતાનું બચપન સ્વિટ્ઝર્લેન્ડમાં ગાળ્યું અને પશ્ર્ચિમ જગતની નૃત્યકલાના પ્રથમ પાઠો ત્યાંની ડાલફ્રોઝ સ્કૂલમાં શીખ્યાં હતાં.

🏮🙏👉 શાસ્ત્રીય નૃત્યાંગના અને પદ્મભૂષણથી નવાજાયેલાં મૃણાલિનિ સારાભાઈ(ભારતના અવકાશ કાર્યક્રમના પિતામહ ગણાતા અગ્રણી ભૌતિકશાસ્ત્રી ડૉ. વિક્રમ સારાભાઈ સાથે તેમણે ૧૯૪૨માં લગ્ન કર્યાં. આ લગ્ન થકી તેમને પુત્ર કાર્તિકેય અને પુત્રી મલ્લિકાનો જન્મ થયો, જેઓએે પણ આગળ ઉપર નૃત્ય અને અભિનય ક્ષેત્રે આગવું નામ મેળવ્યું.
🔦અમદાવાદમાં જ સ્થાયી થયા હતા.

11 May

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ઈતિહાસમાં 11 મેનો દિવસ
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🕹💣ભારત બન્યું પરમાણુ તાકાત💣🕹


વર્ષ 1998 ની 11 મી મેના રોજ ભારતના વિજ્ઞાનીઓએ રાજસ્થાનના પોખરણમાં ત્રણ પરમાણુ ધડાકા કર્યા હતા . એક દિવસ રહીને એટલે કે 13 મી મેના રોજ બીજા બે પરમાણુ બોમ્બ ધડાકા કરવામાં આવ્યા હતા .

🎥📽એકેડેમી ઓફ મોશન પિક્ચર્સ📽


દર વર્ષે ઓસ્કાર એવોર્ડ આપતી અમેરિકાની એકેડેમી ઓફ મોશન પિક્ચર્સ આર્ટ્સ એન્ડ સાયન્સની સ્થાપના વર્ષ 1927 ની 11 મી મેના રોજ થઈ હતી . એકેડેમીએ તેના પહેલા એવોર્ડ સમારંભનું આયોજન 1929 માં કર્યું હતું.