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इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन
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📬स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव किसी भी देश के लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। इसमें निष्पक्ष, सटीक तथा पारदर्शी निर्वाचन प्रक्रिया में ऐसे परिणाम शामिल हैं जिनकी पुष्टि स्वतंत्र रूप से की जा सकती है। परम्परागत मतदान प्रणाली इन लक्ष्य में से अनेक पूरा करती है। लेकिन फर्जी मतदान तथा मतदान केन्द्र पर कब्जा जैसा दोष पूर्ण व्यवहार निर्वाची लोकतंत्र भावना के लिए गंभीर खतरे हैं। इस तरह भारत का निर्वाचन आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए निर्वाचन प्रक्रिया में सुधार का प्रयास करता रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र के दो प्रतिष्ठानों भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड, बंगलौर तथा इलेक्ट्रानिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद के सहयोग से भारत निर्वाचन आयोग ने ईवीएम (इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन) की खोज तथा डिजायनिंग की।
📭इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का इस्तेमाल भारत में आम चुनाव तथा राज्य विधानसभाओं के चुनाव में आंशिक रूप से 1999 में शुरू हुआ तथा 2004 से इसका पूर्ण इस्तेमाल हो रहा है। ईवीएम से पुरानी मतपत्र प्रणाली की तुलना में वोट डालने के समय में कमी आती है तथा कम समय में परिणाम घोषित करती है। ईवीएम के इस्तेमाल से जाली मतदान तथा बूथ कब्जा करने की घटनाओं में काफी हद तक कमी लाई जा सकती है। इसे निरक्षर लोग ईवीएम को मत पत्र प्रणाली से अधिक आसान पाते हैं। मत-पेटिकाओं की तुलना में ईवीएम को पहुंचाने तथा वापस लाने में आसानी होती है।
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन
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📬स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव किसी भी देश के लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। इसमें निष्पक्ष, सटीक तथा पारदर्शी निर्वाचन प्रक्रिया में ऐसे परिणाम शामिल हैं जिनकी पुष्टि स्वतंत्र रूप से की जा सकती है। परम्परागत मतदान प्रणाली इन लक्ष्य में से अनेक पूरा करती है। लेकिन फर्जी मतदान तथा मतदान केन्द्र पर कब्जा जैसा दोष पूर्ण व्यवहार निर्वाची लोकतंत्र भावना के लिए गंभीर खतरे हैं। इस तरह भारत का निर्वाचन आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए निर्वाचन प्रक्रिया में सुधार का प्रयास करता रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र के दो प्रतिष्ठानों भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड, बंगलौर तथा इलेक्ट्रानिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद के सहयोग से भारत निर्वाचन आयोग ने ईवीएम (इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन) की खोज तथा डिजायनिंग की।
📭इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का इस्तेमाल भारत में आम चुनाव तथा राज्य विधानसभाओं के चुनाव में आंशिक रूप से 1999 में शुरू हुआ तथा 2004 से इसका पूर्ण इस्तेमाल हो रहा है। ईवीएम से पुरानी मतपत्र प्रणाली की तुलना में वोट डालने के समय में कमी आती है तथा कम समय में परिणाम घोषित करती है। ईवीएम के इस्तेमाल से जाली मतदान तथा बूथ कब्जा करने की घटनाओं में काफी हद तक कमी लाई जा सकती है। इसे निरक्षर लोग ईवीएम को मत पत्र प्रणाली से अधिक आसान पाते हैं। मत-पेटिकाओं की तुलना में ईवीएम को पहुंचाने तथा वापस लाने में आसानी होती है।