Tuesday, July 9, 2019

સત્યાગ્રહ એટલે શું ? ---- What is Satyagraha?

💢♦️💢♦️💢♦️💢♦️💢♦️💢
✏️✏️✏️✏️જી.પી.એસ.સી ની પરીક્ષા માટે ઉપયોગી🔻🔻🔻

✍યુવરાજસિંહ જાડેજા (ગોંડલ)🙏

👉મહાત્મા ગાંધી, તેમના વિચાર, સિદ્ધાંતો અને જીવન દર્શન, 
✏️મહત્વના સત્યાગ્રહ - ગુજરાતના ખેડા, બોરસદ, બારડોલી, ધરાસણા, ધોલેરા, રાજકોટ અને લીંબડી સત્યાગ્રહના વિશેષ સંદર્ભમાં

(સંપૂર્ણ માહિતી PDF મા)

☯ સત્યાગ્રહ એટલે શું ?

જૉહનિસ બર્ગમા વગર હથિયારે સરકાર સામે લડવાની રીતને શું નામ આપવું તેનો વિચાર ગાંધીજી કરતા હતા. ત્યારે 🔆મગનલાલ ગાંધીએ🔆 🗣‘‘સદાગ્રહ’’🗣 શબ્દ આપ્યો.

👉સત્યને માટેનો આગ્રહ એવું નામ ગાંધીજીને યોગ્ય લાગ્યું અને સદાગ્રહ શબ્દમાં સત્ય શબ્દ ઉમેરી ‘‘સત્યાગ્રહ’’ શબ્દ આપ્યો. 
👉લોકોએ આ શબ્દ વધાવી લીધો અને
૧૯૦૬ની સાલથી સત્યાગ્રહ શબ્દ પ્રચલિત બન્યો.(બાકીની માહિતી pdf મા)

ઝીકા વાયરસ --- Zico Virus

Yuvirajsinh Jadeja:
♻️💠♻️💠♻️💠♻️💠
🎋🎋ઝીકા વાયરસ
☃⛄️☃⛄️☃⛄️☃⛄️

✍યુવરાજસિંહ જાડેજા (ગોંડલ)🙏

✨🎋🍃🌟પ્રથમ ઝીકા તાવ 1940મા યુગાન્ડામાં નોંધાયો હતો.
☄✨યુગાન્ડામાં ઝીકા નામે જંગલ આવેલું છે એની પરથી આ વાયરસનું નામ પડ્યું છે.

🎋આફ્રિકી દેશોમાં હાહાકાર મચાવનાર ઝીકા વાયરસનો ભારતમાં પ્રથમ કેસ અમદાવાદમાં નોંધાયો

🎋ડબલ્યુએચઓ દ્વારા આ અંગે પુષ્ટી કરાઇ છે.

🎋ડબલ્યુએચઓના રીપોર્ટ અનુસાર ભારત અને સ્વાસ્થ્ય અને પરિવાર કલ્યાણ મંત્રાલયએ ગુજરાતના અમદાવાદ જિલ્લાના બાપુનગર વિસ્તારમાં ઝીકા વાયરસના દર્દીઓ હોવાની પુષ્ટી કરી છે.

હેબિયસ કોર્પસ --- Habeas corpus

uvirajsinh Jadeja:
🛡🛡શું છે હેબિયસ કોર્પસ 🛡🛡

⚖⚖ગેરકાયદેસર રીતે પોલીસની કસ્ટડીમાં રહેલા વ્યક્તિને મેળવવા માટે ‘હેબિયસ કોર્પસ’ની અરજી કરવામાં આવે છે...

⚖⚖ હેબિયસ કોર્પસ એ લેટિન ભાષાનો શબ્દ છે. 
⚖⚖ઈંગ્લૅન્ડની ન્યાયવ્યવસ્થામાં આ શબ્દ તેરમી સદીથી પ્રચલિત છે. આનો અર્થ છે- બંદી પ્રત્યક્ષીકરણ. કેદીને ન્યાયાધીશની સામે હાજર કરવાનો અને અટકાયતનાં કારણ રજૂ કરવાનો કોર્ટનો આદેશ આજે આ શબ્દો દ્વારા ઓળખાય છે. 
⚖⚖કેદીને હાજર કર્યા બાદ કોર્ટ એ નિર્ણય કરે છે કે એ વ્યક્તિની અટકાયત ઉચિત હતી કે ગેરકાયદેસર ? 

🛡🛡ઈંગ્લૅન્ડમાં રાજા ચાર્લ્સ દ્વિતિયના સમયમાં હેબિયસ કોર્પસ એક્ટ ૧૬૭૯ પસાર થયો હતો.
🛡🛡 તેના ત્રણસો વર્ષ પછી આ દિશામાં મહત્વપૂર્ણ પગલું ભારતમાં ભરાયું હતું.

जैन धर्म --- Jainism

👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇
✡ *नौवा दिन* ✡

💮🔹 *जैन धर्म* 🔹💮

🔻🔻🔻🔻🔻🔻🔻🔻🔻

⚜ जैन धर्म के अनुसार जैन धर्म में 24 तीर्थंकर हुए हैं। ये है -
1 ऋषभदेव या आदिनाथ 2 अजितनाथ 3 सम्भवनाथ 4 अभिनन्दन 5 सुमतिनाथ 6 पद्मप्रभु 7 सुपार्शवनाथ 8 चन्द्रप्रभु 9 सुविधिनाथ 10 शीतलनाथ 11 श्रेयांसनाथ 12 वासुपूज्य 13 विमलनाथ 14 अनन्तनाथ 15 धर्मनाथ 16 शान्तिनाथ 17 कुन्दुनाथ 18 अरहनाथ 19 मल्लिनाथ 20 मुनि सुब्रत 21 नेमिनाथ 22 अरिष्टनेमि 23 पार्शवनाथ 24 महावीर स्वामी 
⚜ जैन परम्परा के अनुसार इस धर्म में 24 तीर्थंकर हुए हैं। इनमें प्रथम ऋषभदेव है। किन्तु 23वें तीर्थंकर पार्शवनाथ को छोड़कर पूर्ववर्ती तीर्थंकरों की ऐतिहासिकता संदिग्ध हैं। 
⚜पार्श्वनाथ का काल महावीर से 250 ई. पू. माना गया है। इनके अनुयायियों को *निर्ग्रन्थ* कहा जाता था। 
⚜जैन अनुश्रतियाँ के अनुसार पार्श्वनाथ को 100 वर्ष की आयु में 'सम्मेद' पर्वत पर निर्वाण प्राप्त हुआ। 
⚜ पार्शवनाथ द्वारा प्रतिपादित चार महाव्रत इस प्रकार हैं - *सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह* और *अस्तेय*। बाद में महावीर स्वामी ने इसमें *ब्रह्मचार्य* को ओर जोड़ा । जिससे यह पंचमहाव्रत कहलाये। 

નિકોલસ કોપરનિક્સ ---- Nicholas Copernicus

✍યુવરાજસિંહ જાડેજા (ગોંડલ)

🌘🌒 નિકોલસ કોપરનિક્સ 🌒🌑

🌞🌝~~ 🌟🌓સૂર્યમાળાની સાચી ઓળખ આપનાર ખગોળશાસ્ત્રી - નિકોલસ કોપરનિક્સ 🌘🌒 ~~

🌏🌍→ આજે આપણે બ્રહ્માંડ અને સૂર્યમાળા વિશે ઘણું જાણીએ છીએ પરંતુ ૫૦૦ વર્ષ પહેલા લોકો એમ માનતા હતા કે પૃથ્વી સ્થિર છે અને સૂર્ય-ચંદ્ર વગેરે
ગ્રહો તેની આસપાસ ફરે છે.


🌚🌕→ ૧૫મી સદીમાં થઇ ગયેલા નિકોલસ નામના વિજ્ઞાાનીએ સૂર્ય સ્થિર છે અને પૃથ્વી સહિત ઘણા ગ્રહો તેની આસપાસ ફરે છે તે શોધી કાઢયું અને સૂર્યમાળાનું મોડેલ બનાવી વિશ્વ સમક્ષ રજુકર્યું.
કોપરનિકસની આ શોધથી ખગોળશાસ્ત્રનો પાયો બંધાયો અને વધુ સંશોધનો શક્ય બન્યા.

वैदिक संस्कृति ---- Vedic culture

🔻🔻🔻🔻🔻🔻🔻🔻🔻

🔘 *वैदिक संस्कृति* 🔘

▪ वैदिक संस्कृति सिन्धु सभ्यता के बाद अस्तित्व में आई है। इसकी जानकारी वेदों से मिलने के कारण इसे वैदिक संस्कृति कहा जाता है। 
▪वैदिक काल को दो भागों में बांटा जा सकता है -
1. त्रग्वेदिक काल (1500 ई. पू. से 1000 ई. पू. )
2. उत्तर वैदिक काल (1000 ई. पू. से 600 ई. पू.) 

▪सिन्धु सभ्यता नगरीय थी जबकि वैदिक संस्कृति मूलतः ग्रामीण थी 

🔘 *त्रग्वेदिक काल*🔘

▪ऋग्वैदिक संस्कृति ग्रामीण, पशुपालन पर आधारित व राजतंत्रीय थी। 
▪पशुपालन उनका प्रमुख व्यवसाय था। ऋग्वैदिक आर्य घुमक्कड़ जीवन शैली के कारण कृषि का पूर्ण विकास नहीं हो पाया था। 
▪इस काल का प्रमुख ग्रन्थ ऋग्वेद ही है। ऋग्वेद की अनेक बातें ईरानी भाषा के प्राचीनतम ग्रन्थ अवेस्ता (जेंदावेस्ता) से मिलती है। ऋग्वेद सबसे प्राचीन वेद है। 
▪आर्य भारत में 1500 ई. पू. के आस पास आये। 
▪ऋग्वैदिक काल की सर्वाधिक महत्वपूर्ण नदी सिन्धु हैं। तथा दुसरी सर्वाधिक महत्वपूर्ण नदी सरस्वती थी। सरस्वती का ऋग्वेद में सर्वाधिक बार उल्लेख हुआ है। 
▪सरस्वती व दृशद्वती नदियों के मध्य का प्रदेश ब्रह्मवर्त कहा जाता है। यह प्रदेश अत्यन्त पवित्र माना जाता है। 
▪मुख्यतः ऋग्वैदिक आर्य सिन्ध व उसकी सहायक नदियों में रहते थे, जिसे सप्तसैन्धव प्रदेश कहा गया है। 

🔅 *ऋग्वेद काल की राजनैतिक व्यवस्था* 🔅

🔸 ग्राम सबसे छोटी राजनैतिक ईकाई थी, जो कई परिवारों का समूह थी। 
🔸 ऋग्वेद काल में ग्राम सामान्यतः स्वजनों के एक समूह को इंगित करता है,न कि एक गांव को। ग्राम का प्रधान ग्रामणी होता था। 
🔸 विश अनेक गांवों का समूह जिसका प्रधान विशपति होता था। अनेक विशों को मिलाकर जन बनता था, जिसका मुखिया जनपति या राजा कहलाता था। 
🔸 त्रग्वेदिक काल में राजा का पद आनुवांशिक हो चुका था, परन्तु राजा को असीमित अधिकार नहीं थे। 
🔸 ऋग्वेद व ऐतरेय ब्राह्मण में राजा के निर्वाचन संबंधी सूक्त है। 
🔸 ऋग्वेद में सभा 8बार,समिति 9बार, विदथ 122 बार, तथा गण 46 बार उल्लेख हुआ है। 
🔸सभा 👉 यह वृद्ध व अभिजात लोगों की संस्था थी। 
🔸समिति 👉 यह सामान्य जनता की प्रतिनिधि सभा थी। यह राजा पर नियंत्रण करती थी। 
🔸 विदथ 👉 यह आर्यों की सबसे प्राचीन संस्था थी। इसमें कबीलाई तत्वों की प्रमुखता थी। इसकी बैठक में सैनिक लूट के विभाजन संबन्धी कार्य सम्पन्न होते थे। 
🔸ऋग्वेद में इंद्र को पुरन्दर कहा गया है। 
🔸 ऋग्वेद के आठवें मण्डल में परुषणी (रावी) नदी के तट पर लड़े गए दाशराज्ञ युद्ध का वर्णन हैं। यह युद्ध भरत वंश के राजा सुदास तथा अन्य दस राजाओं के समूह के बीच हुआ। भरत जन के राजा सुदास का पुरोहित वशिष्ठ था तथा पराजित राजा का पुरोहित विश्वामित्र था। इस युद्ध का कारण यह था कि सुदास ने विश्वामित्र को पुरोहित पद से हटाकर वशिष्ठ को पुरोहित बना दिया। विश्वामित्र ने दस राजाओं का संघ बनाकर सुदास से युद्ध किया। 
🔸 राजा की सहायता के लिए सेनानी (सेनापति), पुरोहित तथा ग्रामणी नामक पदाधिकारी होते थे। इसमें पुरोहित सबसे प्रमुख पदाधिकारी होते हैं तथा पद प्रायः वंशानुगत होता था। राजा सहित कुल 12 रत्नीन होते थे। समिति के सभापति को ईशान कहा जाता था। 
🔸 ऋग्वेद में चरिष्णु शब्द का प्रयोग हुआ है संभवतः यह दुर्ग गिराने का इंजन था। 

🔅 *सामाजिक जीवन* 🔅

▪आर्य समाज पितृसत्तात्मक था। पिता की सम्पति का पुत्र ही उत्तराधिकारी होता था। 
▪नारी को भी माता के रूप में पर्याप्त सम्मान था। 
▪धार्मिक अनुष्ठानों में पत्नी भी अनिवार्य रूप से भाग लेती थी। 
▪संयुक्त परिवार प्रथा प्रचलित थी। ऋग्वेद के अन्तिम काल में वर्ण व्यवस्था के चिह्न दृष्टि गोचर होते हैं। 
▪ऋग्वेद के दसवें मण्डल के पुरुष सूक्त में विराट पुरुष द्वारा चारों वर्णों की उत्पत्ति का वर्णन मिलता हैं। 
वैश्य तथा शुद्र का ऋग्वेद में केवल एक बार ही उल्लेख मिलता हैं। ऋग्वेद में वर्ण व्यवस्था जन्म आधारित न होकर कर्म आधारित थी। ऋग्वेद में एक ऋषि कहता हैं कि "मैं कवि हूँ, मेरे पिता वैद्य हैं तथा मेरी माता अन्न पीसने वाली हैं। साधन भिन्न है परन्तु सभी धन की कामना करते है। 
▪ऋग्वैदिक काल में दास प्रथा का प्रचलन था। दासों के बारे में कहा गया है कि वे न तो अग्नि में हविदान करते थे और न ही इंद्र व हवा के पक्षपाती थे। 
▪आर्य विशेष अवसरों पर माँस तथा मदिरा(सोमरस) का प्रयोग भी करते थे। 
▪ आर्य तीन प्रकार के वस्त्र पहनते थे - अधोवस्त्र, उत्तरीय, अधिवास। सिर पर ऊष्णीय (पगड़ी) धारण करते थे। 
▪ विवाह - ऋग्वेद काल में बालविवाह, व सती प्रथा प्रचलित नहीं थे। पुनर्विवाह व नियोग प्रथा प्रचलित थी। पर्दा प्रथा का उल्लेख नहीं है। 
▪आजीवन अविवाहित रहने वाली कन्याओं को *अमाजू* कहा जाता था। 
▪कन्या की विदाई के समय जो उपहार दिये जाते थे, उसे वहतु कहते थे। 
▪ ऋग्वैदिक काल में पुत्री का उपनयन संस्कार होता था ।
▪शिक्षा ➖ स्त्रियाँ भी वैदिक शिक्षा प्राप्त करती थी व उन्हें यज्ञ करने का अधिकार भी था। लोपामुद्रा विदर्भ राजा की पुत्री व अगस्तय ऋषि की पत्नी थी। 
▪ शिक्षा गुरुकुल में दी जाती थी, व मौखिक होती थी। 

🔅 *आर्थिक जीवन* 🔅

🔻 ऋग्वैदिक का मूल आधार पशुपालन एवं कृषि था। 
🔻 ऋग्वेद में फाल का उल्लेख मिलता हैं ।
🔻 कृषि योग्य भूमि को उर्वरा या क्षेत्र कहा जाता था। 
🔻ऋग्वेद के चौथे मण्डल में कृषि सम्बन्धी प्रक्रिया का उल्लेख है। 
🔻 भूमि राजा की निजी सम्पत्ति न हो कर, सम्पूर्ण कबीलें का सामूहिक स्वामित्व होता था। 
गविष्ठी -युद्ध का पर्याय माना जाता था। 
🔻गाय आर्यों का मुख्य आर्थिक आधार था। अधिकांश लड़ाईया गायों और पशुओं के लिए लड़ी जाती थी। 
🔻निष्क एक गले का स्वर्ण आभूषण था, जिसे विनिमय के माध्यम के रूप में काम में लिया जाता था। 
🔻पशु ही इस काल की प्रमुख सम्पति थी। घोड़ा आर्यों का बहुूपयोगी पशु था। 
🔻ऋग्वेद के अनुसार खेती के लिए हल द्वारा भूमि जोतने की शिक्षा सर्वप्रथम अश्वविनों द्वारा दी गई। 
🔻 ऋग्वैदिक काल में दासों को खेती में लगाया जाता था। नमक व कपास का उल्लेख नहीं हुआ है जबकि अनाज के रूप में यव का उल्लेख है। 
🔻व्यापार वस्तु विनिमय द्वारा होता था। 
🔻ऋग्वेद में प्रजा राजा को स्वेच्छा से जो अंश देती थी, उसको बली कहा जाता था। ऋग्वैदिक आर्य लोहे परिचित नहीं थे। 

🔅 *ऋग्वैदिक धर्म* 🔅

▪ऋग्वैदिक आर्य एक सार्वभौमिक सत्ता में विश्वास करते थे। आर्यों ने सर्वप्रथम द्यौस एवं पृथ्वी की उपासना शुरू की। 
▪यास्क के अनुसार देवताओं की तीन श्रेणियाँ थी -
आकाश के देवता
अन्तरिक्ष के देवता
पृथ्वी के देवता 
▪सर्वप्रमुख देवता इंद्र थे, उन्हें पुरन्दर भी कहा गयाहै। ऋग्वेद के दूसरे मण्डल में इंद्र की स्तुति में सर्वाधिक 250 सूक्त है। इन्द्र को वर्षा का देवता भी कहा गया है। इसके बाद अग्नि (200 सूक्त) तथा वरुण (30बार) का उल्लेख है। 

➖ उत्तर वैदिक काल का वर्णन कल के अंक में 👏➖
♦♦♦♦♦♦♦♦♦

International Court of Justice

🌴 *ઇન્ટરનેશનલ કોર્ટ ઓફ જસ્ટિસ*🌴
🕍 *International Court of Justice*🕍


🚩 *સ્થાપના* :1945 🚩 *દેશ*: 193 
🚩 *સ્થાન*:હેગ, નેધરલેન્ડ્સ
🚩યુએન ચાર્ટર ICJ કાયદા મુજબ થઈ 
🚩 *જજની મુદત* :૯ વર્ષ
🚩 *જજ ની સંખ્યા*:૧૫
🚩 *વેબસાઇટ* :www.Icj-cij.Org
🚩 *પ્રમુખ* (Preaident ): *રોની અબ્રાહમ* 

🚩 *ઉપ પ્રમુખ(Vice Preaident) *અબ્દુલકુખી યુસુફ*
🚩 *જોસ ગુસ્તાવો ગ્યુરેરો* સાલ્વાડોરન રાજદૂત અને કાયદાશાસ્ત્રી 
*તેઓ ઇન્ટરનેશનલ કોર્ટ ઓફ જસ્ટીસ ("વર્લ્ડ કોર્ટ") ના પ્રથમ પ્રમુખ હતા, જે 1946 થી 1949 સુધી હતા*